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दिव्य संस्कृति दो शब्दों से मिलकर बना है: दिव्य और संस्कृति

दिव्य अर्थात परमात्मा द्वारा प्रदान की गयी वस्तु और संस्कृति यानी संस्कार युक्त कृति! किसी भी राष्ट्र में संस्कृति का वही स्थान होता है जो मनुष्य के शरीर में आत्मा का होता है! संस्कृति वह तत्त्व होता है राष्ट्र को भीतर से आपस में जोड़कर रखता है व उसका संचालन करता है!
भारत एक अत्यंत प्राचीन राष्ट्र है! भारतीय संस्कृति ईस्वरीय प्रदत्त संस्कृति है! अर्थात दिव्य संस्कृति है!
दिव्य संस्कृति का मूल उद्देश्य सम्पूर्ण विश्व को भारत की दिव्य रुपी संस्कृति से जोड़ना है।
दिव्या संस्कृति समय समय पर अपने कार्यक्रमों के माध्यम से सभी में अटूट बंधन बनाने मे प्रयासरत है!
दिव्या संस्कृति का प्रयास है विश्व को भारत की दिव्यता रुपी संस्कृति से जोड़ना और सभी प्राणियों में सद्भावना एवं वसुधैव कुटुंबकम की भावना को बढ़ाना।

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